ट्रेडिंग नीतियाँ। कैसे 10 मिनट में अपने लक्ष्यों के अनुरूप नीति अपनाएं?

15 Mar, 2016 6 मिनट में पढ़ें

फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग की दर्जनों नीतियाँ होती हैं, और हर एक नीति दूसरे से अलग होती है। इतनी तरह की विविधता के साथ, सही नीति को चुनने में बहुत मेहनत लग सकती है, और यहां तक कि अनुभवी ट्रेडर भी चिंतित हो सकते हैं। आपका समय और मेहनत दोनों को बचाने के लिए हमने फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग की टॉप नीतियों का विश्लेषण किया है। हर एक नीति का विश्लेषण तीन घटकों के आधार पर किया गया है: पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी, विश्लेषण की जटिलता, और प्रिफर्ड इंस्ट्रूमेंट्स। 2023 में आपके लिए सबसे अच्छी नीति ढूंढने के लिए नीचे दिए गए विवरण का  इस्तेमाल करें।

ट्रेडिंग नीतियाँ

  • उपयुक्त नीति चुनते समय कौनसी बातें ध्यान में रखें?

  • डे ट्रेडिंग नीति

    • स्कैल्पिंग
    • न्यूज़ ट्रेडिंग
  • लॉन्ग-टर्म की ट्रेडिंग नीतियाँ

  • एल्गोरिथ्मिक ट्रेडिंग नीति

  • क्रिप्टो ट्रेडिंग नीति

  • स्टॉक ट्रेडिंग नीति

  • आपकी नीति को कौन सी तकनीकें मजबूत बना सकती हैं?

  • हेजिंग
  • ग्रिड ट्रेडिंग
  • मार्टिंगेल ट्रेडिंग
  • सबसे बेहतरीन फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग नीति कैसे चुनें?

तो, एक बेहतरीन नीति को चुनने के लिए आपको किन घटकों के बारे में सोचना चाहिए? 

इंस्ट्रूमेंट. आप करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, सूचकांक, स्टॉक्स पर CFD और कमोडिटीज़ को ट्रेड कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ नीतियाँ करेंसी जोड़े के ट्रेडिंग के लिए ज्यादा अनुकूल हो सकती हैं, जबकि अन्य नीतियां कमोडिटीज़ या स्टॉक्स के ट्रेडिंग के लिए अधिक अनुकूल हो सकती हैं।

टाइम फ्रेम. इन्हें सामान्यता लॉन्ग-टर्म, मेडियम-टर्म और शॉर्ट-टर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। आपको ऐसी नीतियाँ दिखाई देंगी जिनके लिए आपको एक मिनट के टाइम फ्रेम का इस्तेमाल करने की जरुरत होगी, साथ ही ऐसी नीतियाँ भी होंगी जो एक महीने के टाइम फ्रेम के साथ बहुत अच्छे से काम करती हैं।

विश्लेषण का तरीका. कुछ नीतियाँ तकनीकी विश्लेषण, फंडामेंटल विश्लेषण या इन दोनों के मिलाप पर आधारित हो सकती हैं। आप यह सब हमारे  साथ और हमारे वेबिनार के जरिए सीख सकते हैं।

वोलैटिलिटी. यह एक निश्चित अवधि में कीमत के परिवर्तन की तीव्रता का मूल्यांकन करता है। उदाहरण के तौर पर, एक करेंसी जोड़ी ज्यादा अस्थिर और बड़े स्प्रैड्स के साथ हो सकती है, जिससे ट्रेंड-ट्रेडिंग की नीति अधिक उपयुक्त हो जाती है।

ट्रेडर्स के लिए यह जरुरी है कि वे जिस इंस्ट्रूमेंट की ट्रेडिंग कर रहे हैं उसकी विशेषताओं पर पूरी तरह से विचार करें और एक उपयुक्त नीति को चुनें। और आपको सबसे पहले यह तय करना होगा कि क्या आपके लिए शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग की नीतियाँ बेहतर हैं।

डे ट्रेडिंग 

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️⚡️⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

क्या विश्लेषण करें: चार्ट, मैक्रो घटक 

प्रिफर्ड इंस्ट्रूमेंट्स: करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, कमोडिटीज, स्टॉक के डेरिवेटिव और सूचकांक।

मुख्य लक्ष्य: एक ट्रेडिंग दिन में प्रॉफिट कमाना। 

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर एक दिन के अंदर ऑर्डर्स ओपन और क्लोज करता है।

इंट्राडे या डे ट्रेडिंग एक प्रकार की लोकप्रिय शॉर्ट-टर्म नीति है। फ़ॉरेक्स के डे ट्रेडिंग नीतियों में मार्केट के भीतर शॉर्ट-टर्म में होने वाले कीमतों के बदलाओं से और संभावित रूप से लाभ कमाने के लिए उसी दिन के दौरान ऑर्डर्स को ओपन और क्लोज करना शामिल होता हैं। डे ट्रेडिंग की नीतियाँ अलग अलग तकनीकी और फंडामेंटल विश्लेषण के घटकों पर आधारित हो सकती हैं, जैसे चार्ट पैटर्न, कीमत की हलचल और न्यूज़ के इवेंट। इस बात का ध्यान रखना जरुरी है कि इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिम भरा हो सकता है, और ट्रेडर्स को सावधानी से अपने जोखिम का प्रबंधन करना चाहिए और अलग अलग इंस्ट्रूमेंट और संकेतकों की मदद से बुद्धिमानी से निर्णय लेने चाहिए।

डे ट्रेडर्स के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे लोकप्रिय संकेतक क्या हैं?

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छी टाइम फ्रेम क्या है?

एक बात हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि इसमें पर्याप्त डेटा होना चाहिए। कुछ लोग 5 और 15-मिनट के टाइम फ्रेम का इस्तेमाल करने का सुझाव देते हैं, जबकि दूसरे 1 और 30-मिनट के चार्ट का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स भी हैं जो 30-मिनट और 1-घंटे की समय सीमा का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए, आपको इसे खुद ही अनुभव करना चाहिए और देखना चाहिए कि आपके लिए सबसे बढ़िया क्या है।

प्रॉफिट के अवसर जानकारी की मात्रा पर निर्भर करते हैं

इंट्राडे ट्रेडिंग की विशिष्ट नीतियाँ क्या हैं?

  • डिप्स खरीदना. ऐसा तब होता है जब आप किसी एसेट को उसके नीचे जाते ट्रेंड में खरीदते हैं, इस उम्मीद में कि वह उसी दिन रिकवर हो जाएगा।

  • रैलियों के दौरान बेचना और खरीदना. ऐसा तब होता है जब बढ़ी हुई मांग के कारण एसेट की कीमतें शॉर्ट-टर्म में तेजी से बढ़ती हैं। रैलियां तब होती हैं जब अर्थव्यवस्था में कुछ चकित करनेवाला होता है, आप हमेशा क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के आसपास इसका फायदा ले सकते हैं। रैलियां ट्रेडर्स के लिए ज्यादा वोलैटिलिटी और अधिक प्रॉफिट के अवसर लाती हैं।

  • ब्रेकआउट और रिवर्सल की तलाश में. यह चार्ट को ध्यान से देखने और तकनीकी विश्लेषण का अभ्यास करने के बारे में है।

हम आपको दिन की ट्रेडिंग की दो प्रमुख नीतियों के बारे में और ज्यादा बताएंगे।

स्कैल्पिंग 

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️⚡️⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

क्या विश्लेषण करें: चार्ट।

प्रिफर्ड इंस्ट्रूमेंट्स: करेंसी, क्रिप्टो, कमोडिटीज।

मुख्य लक्ष्य: छोटे लाभ हासिल करना जो साथ मिलकर एक बड़ी राशि बन सकते हैं। 

इसे कैसे हासिल किया जाता है: एक ट्रेडर कम अवधि में, ज्यादातर मिनटों या  कई बार सेकंडों में कई ऑर्डर ओपन और क्लोज करता है। 

स्केलपर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे जरुरी संकेतक एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) और सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) हैं। इनमें से हर एक संकेतक शॉर्ट-टर्म में करेंसी जोड़ी के ट्रेंड में हुए मूल्य परिवर्तन को दर्शाता है। स्कैलपर्स दूसरों की तुलना में तेजी से बदलने की प्रतिक्रिया करने की अपनी क्षमता के लिए SMA संकेतक का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।

स्कैल्पिंग शुरू करें

न्यूज ट्रेडिंग

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️⚡️⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

क्या विश्लेषण करें: एसेट से जुड़ी खबरें।

प्रिफर्ड इंस्ट्रूमेंट्स: करेंसी, स्टॉक, स्टॉक पर डेरिवेटिव और सूचकांक।

मुख्य लक्ष्य: समाचारों के आधार पर मार्केट की गतिविधियों का अंदाज लगाना और प्रॉफिट कमाना।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: एक ट्रेडर समाचारों पर नजर रखेगा, मार्केट की प्रतिक्रिया का अंदाज लगाएगा और इसके आधार पर आर्डर बनाएगा।

एक न्यूज़ ट्रेडर अपने पास में जो सबसे महत्वपूर्ण उपकरण रखता है, वह है हमारा आर्थिक कैलेंडर। यह साधन उन्हें आगामी रिलीज को ट्रैक करने और मार्केट के प्रभाव का अंदाज लगाने में मदद करता है। आप अलग-अलग श्रेणियों का इस्तेमाल करके भविष्य की घटनाओं को फ़िल्टर भी कर सकते हैं। जिस करेंसी जोड़ी में आप ट्रेडिंग करने के बारे में सोच रहे हैं, उसके लिए समाचारों का इस्तेमाल करना अच्छा अभ्यास है।

हमारा आर्थिक कैलेंडर आपको विशिष्ट घटनाओं पर दुनिया भर के टॉप अर्थशास्त्रियों से नवीनतम जानकारी उपलब्ध कर देता है। आप दोनों साधनों का इस्तेमाल करके अलग-अलग पैटर्न को समझ और सीख सकते हैं।

USDJPY की कीमत को प्रभावित करने वाली खबर, 21 दिसंबर 2022

 

यहाँ इस नीति का एक उदाहरण है। देखिए कि बैंक ऑफ जापान के अपनी यील्ड कर्व पॉलिसी को बदलने के फैसले ने 10 मिनट से भी कम समय में JPYUSD की कीमतों को कैसे प्रभावित कर दिया। फंडामेंटल विश्लेषण का हमारा परिचय आपको इस बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगा कि समाचारों को कैसे ट्रेड किया जाए।

फंडामेंटल विश्लेषण और आर्थिक संकेतक के लेख पढ़ें  

लॉन्ग-टर्म की ट्रेडिंग नीतियाँ

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

प्रिफर्ड इंस्ट्रूमेंट्स: स्टॉक, ETF और सूचकांक।

क्या विश्लेषण करें: मैक्रोइकॉनॉमिक्स, सेक्टर और इंडस्ट्री, और कंपनी का वित्तीय विवरण।

मुख्य लक्ष्य: मार्केट के समय के बाहर प्रॉफिट कमाने के लिए या ज्यादा अस्थिर संपत्ति पर कमाई करने के लिए।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर क्रिप्टो को ट्रेड करेगा।

लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग को सामान्यता पोजीशन ट्रेडिंग कहा जाता है। यह स्कैल्पिंग के विपरीत होता है। पोजीशन ट्रेडर बहुत धीरज वाले होते हैं और उनके पास मजबूत फंडामेंटल होते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग की तुलना में लॉन्ग-टर्म या पोजीशन ट्रेडिंग

पोजीशन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा टाइम फ्रेम क्या है?

सबसे बढिया टाइम फ्रेम 50-दिन और 200-दिन EMA का हैं। पोजीशन ट्रेडर तब तक इंतजार करते हैं जब मूविंग एवरेज लाइन्स इंटरसेक्ट होने लगती हैं।

पोजीशन ट्रेडर्स कौन से इंस्ट्रूमेंट्स चुनते हैं?

पोजीशन ट्रेडर्स के लिए सबसे अच्छे साधनों में से एक स्टॉक या इंडेक्स हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकारें या केंद्रीय बैंक पॉलिसी या आर्थिक समायोजन कर सकते हैं जो समय के साथ अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। ये पॉलिसी निर्णय एक पोजीशन ट्रेडर को छह महीने या उससे ज्यादा समय तक कमाने में सक्षम कर सकते हैं अगर वे कीमत के ट्रिगर और ट्रेंड का अंदाजा लगा लेते हैं।

एल्गोरिथ्मिक ट्रेडिंग 

कब इस्तेमाल करें: कोई एक विशेष परिस्थिति नहीं है। 

क्या विश्लेषण करें: चार्ट, ट्रेडिंग रोबोट के रिव्यूज और परीक्षण के रिजल्ट्।

मुख्य लक्ष्य: एक ट्रेडिंग रोबोट से आपके लिए ट्रेड करवाना।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: एक ट्रेडर एक ट्रेडिंग रोबोट इनस्टॉल करेगा, उसका परीक्षण करेगा, और उसे खुद के बजाय ट्रेड करने देगा।

एल्गोरिथ्मिक ट्रेडिंग नीतियों के साथ, आप अपने लिए ट्रेड करने हेतु कोडिंग और बॉट्स की शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह की नीति का एक फायदा यह है कि यह ट्रेडिंग के भावनात्मक पहलू को हटा देती है। जोखिम के प्रबंधन हेतु भावनाओं को दूर करना एक महत्वपूर्ण घटक है। हालाँकि, आपको एल्गो ट्रेडिंग नीतियों के लाभों का आनंद लेने के लिए कोडर होने की कोई जरूरत नहीं है।

ट्रेडिंग प्रोग्राम कहाँ से प्राप्त करें?

कुछ प्रोग्राम और सेवाएं आपके अभिलाषित इनपुट के आधार पर कोड लिखती हैं। आपके अंदाज़ के अनुरूप रोबोट ढूंढ़ने और खरीदने के लिए इसका एक MQL5 मार्केट भी है।

ट्रेडिंग रोबोट का मार्केट देखें

कैसे जाने कि ट्रेडिंग प्रोग्राम विश्वसनीय है या नहीं?

ट्रेडिंग के लिए बहुत सारे रोबोट हैं, और उनमें से हर एक आपको प्रॉफिट कमाने देगा ऐसा नहीं है। परीक्षण आपको यह समझने में मदद करता है कि ट्रेडिंग रोबोट या प्रोग्राम फायदेमंद हो सकता है या नहीं। इसमें सामान्यत: दो तरह के परीक्षण होते हैं जिन्हें आप यह समझने के लिए कर सकते हैं कि क्या प्रोग्राम आपके लिए सही है भी या नहीं: 

  • ऐतिहासिक डेटा के आधार पर ऑर्डर्स  का अनुकरण करने के लिए बैकटेस्ट

  • डेमो खाते का इस्तेमाल करके या परिणामों को खुद ट्रैक करके नुकसान की जोखिम उठाए बिना वास्तविक मार्केट की स्थितियों पर ट्रेडिंग का अनुकरण करने के लिए फॉरवर्ड टेस्ट।

बस एक बार आप बैकटेस्ट ट्रेडिंग नीति और प्रोग्राम को सही तरह से सेट कर लेते हैं, तो आप आगे बढ़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। एल्गोरिथ्मिक ट्रेडिंग का एक और फायदा यह है कि इसमें अधिक मेंटेनेंस की जरुरत नहीं होती है। हालाँकि, यह प्रोग्राम अपने आप चल सकता है, लेकिन फिर भी इसे इंसान के निरीक्षण की जरुरत होती है।

क्रिप्टो ट्रेडिंग

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️⚡️⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

क्या विश्लेषण करें: चार्ट, क्रिप्टो एक्सचेंज के समाचार और हैश रेट।

मुख्य लक्ष्य: मार्केट के समय के बाहर प्रॉफिट कमाने के लिए या ज्यादा अस्थिर एसेट पर कमाई करने के लिए।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर क्रिप्टो को ट्रेड करेगा। 

क्रिप्टो ट्रेडिंग की नीतियाँ मुख्य रूप से ज्यादा अस्थिरता, मार्केट सहभागियों, आकार और कुछ दूसरे घटकों के कारण अन्य प्रकार की नीतियों से अलग होती हैं। लेकिन फिर भी, क्रिप्टोकरेंसी अभी भी लोकप्रिय हैं क्योंकि फ़ॉरेक्स ट्रेडर्स वोलैटिलिटी पर कामयाब होते हैं। 

क्रिप्टो ट्रेडिंग दूसरे एसेट्स से अलग क्यों है?

सामान्यता क्रिप्टो मार्केट सहभागी के तीन प्रकार होते हैं: माइनर्स, एक्सचेंज और ट्रेडर्स। इनकी तुलना में, करेंसी मार्केट में मार्केट सहभागियों में कमर्शियल बैंक, केंद्रीय बैंक, मनी मैनेजर और हेज फंड शामिल होते हैं। इसका यह मतलब होता है कि ज्यादा क्रिप्टो या ग्रुप स्टेक रखने वाला एक व्यक्ति करेंसी मार्केट की तुलना में बहुत बड़े पैमाने पर मार्केट को प्रभावित कर सकता है। 

क्रिप्टो मार्केट अपनी वोलैटिलिटी के लिए जाना जाता है, जो इसे जानकार फ़ॉरेक्स इन्वेस्टर्स के लिए ट्रेड करने का एक आकर्षक इंस्ट्रूमेंट बनाता है। क्रिप्टो की अतुलनीय लाभदायक प्रकृति ही क्रिप्टोकरंसीज इतनी अस्थिर होने के मुख्य कारणों में से एक है। करेंसी ट्रेडिंग के विपरीत, जिसका राष्ट्रीय सरकारें आधार होती हैं, क्रिप्टो लगभग पूरी तरह से सप्लाई और डिमांड पर आधारित होता है। स्केलेबिलिटी का मसला भी है। जब एक विशिष्ट टाइम फ्रेम के अंदर एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट मंजूर नहीं होता है, तब यह नीचे की ओर दबाव बना सकता है।

क्रिप्टो ट्रेडर्स कौन से संकेतक प्रेफर करते हैं?

  • मूविंग एवरेज (MA) क्रॉसओवर टूल. इस साधन का इस्तेमाल करके, आप कीमतों के परिवर्तनों के कुछ रैंडमनेस को दूर करके एक स्पष्ट तस्वीर हासिल कर सकते है।

  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI). इंट्राडे ट्रेडर्स द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला यह साधन किसी भी दिशा में गति को पहचानता है और आपको यह बताता है कि क्रिप्टो एसेट ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है। इसके मूल में, RSI एक सरल फॉर्मूला है जो किसी ऑर्डर को बंद करने के लिए सबसे अधिक फायदेमंद समय की गणना एक उप-इष्टतम समय की तुलना में करता है।

  • समाचार. इंट्राडे ट्रेडर्स द्वारा प्रॉफिट कमाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साधन, जैसे कि RSI, को लागू करना ही जरुरी नहीं है, बल्कि न्यूज़ ट्रेडर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कौशल का लाभ उठाना भी जरुरी है। ऊपर बताए गए कारणों से क्रिप्टो के आसपास के न्यूज़ कवरेज किसी एसेट की दिशा को बहुत प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, अनुभवी ट्रेडर्स एसेट पर मीडिया का ध्यान होना नोटिस करते हैं और इसका संभावित कीमत के ट्रेंड में बदलाव के संकेत के रूप में इस्तेमाल करते हैं। क्रिप्टो न्यूज़ पर ट्रेडिंग करना इसे फर्स्ट-टाइम ट्रेडर्स के लिए एक लोकप्रिय नीति बनाता है।

क्रिप्टो ट्रेड करें

स्टॉक ट्रेडिंग

पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी: ⚡️

विश्लेषण की जटिलता: ⏳⏳⏳

क्या विश्लेषण करें: मैक्रोइकॉनॉमिक्स, सेक्टर और इंडस्ट्री, और कंपनी के वित्तीय विवरण।

मुख्य लक्ष्य: स्टॉक्स पर कमाने के लिए - या तो शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर स्टॉक्स पर ट्रेड करने के लिए फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण दोनों का इस्तेमाल करेगा।

इस नीति में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट की हुईं सार्वजनिक रूप से ट्रेड करने वाली कंपनियों के शेयरों को खरीदना और बेचना शामिल है। जब आप हमारे साथ स्टॉक ट्रेड करते हैं, तब आप स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगा रहे होते हैं। स्टॉक की कीमतें कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, इंडस्ट्री की ट्रेंड और पूरे मार्केट की स्थितियों के साथ अलग-अलग घटकों से प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि स्टॉक ट्रेडर्स कंपनी से संबंधित सभी प्रासंगिक विवरणों, मार्केट की स्थितियों और अन्य संबंधित इंडस्ट्री की जानकारी को ध्यान में रखते हैं।

आपको एक सबल स्टॉक ट्रेडिंग नीति बनाने में क्या मदद कर सकता है?

यहां आपका ब्रोकर आपको जो मुख्य लाभ प्रदान कर सकता है वह है शेयरों की विविधता। स्टॉक ट्रेडिंग नीति का इस्तेमाल करते समय, कोई ऑर्डर खोलने से पहले उद्योग का विश्लेषण करना जरुरी होता है। साथ ही, नई न्यूज़ पढ़ने-देखने से आपको एसेट के संबंध में समग्र स्थिति को समझने में मदद मिल सकती है। कुछ ट्रेडर्स ग्रीन कंपनियों में ही ट्रेड करते हैं, तो यहाँ फिर से विविधता आपको प्रॉफिट कमाने में मदद करती है। हम 16 स्टॉक एक्सचेंजों से एसेट्स की पेशकश करते हैं ताकि आप अपने लिए सही विकल्प चुन सकें।

स्टॉक के लाभ क्या हैं?

एक दूसरा पॉइंट जो आपको हमारे साथ स्टॉक्स को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है वह यह है कि आप लाभांश भी प्राप्त कर सकते हैं। ये प्रॉफिट के वो हिस्से हैं जो एक कंपनी अपने शेयरधारकों के बीच वितरित करती है। और जब आप हमारे द्वारा प्रदान किए जाने वाले इन 230 शेयरों में से किसी के लिए एक ऑर्डर ओपन करते हैं, तब आप ऑटोमॅटिकली उस समय तक एक शेयर होल्डर बन जाते हैं जब तक आप एसेट होल्ड करते हैं। अच्छी बात यह है कि अगर आप लिवरेज का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको अपनी लिवरेज पोजीशन के हर एक शेयर के लिए लाभांश प्राप्त होता है। 

संक्षेप में, ट्रेडर्स को जोड़ी में हर एक करेंसी का पता होना चाहिए जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें प्रत्येक देश की आर्थिक और राजकोषीय नीति पर रिसर्च करना चाहिए और समझना चाहिए, जबकि स्टॉक में, उनकी संभावित सफलता को मापने के लिए आपके पास एक अधिक संकीर्ण खोज पैटर्न होता है।

 

स्टॉक्स

करेंसी

एसेट की संख्या

150

35

मार्केट के घंटे

स्टॉक एक्सचेंज पर निर्भर करता है, पूरी लिस्ट देखें

24/5

लिवरेज

50 तक

500 तक

लाभांश

आपके हर शेयर के लिए

 

कौन सी तकनीकें आपकी नीति को मजबूत कर सकती हैं? 

किस इंस्ट्रूमेंट और नीति का इस्तेमाल करना है, इस पर विचार करते समय, चाहे वह स्कैल्पिंग हो या अगर आप अपनी पोजीशन को लंबे समय तक होल्ड करना पसंद करते हैं, तो आपको मूल्यांकन करना चाहिए कि आप सफल होने के लिए किन इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। हो सकता है आप अपनी सभी नीतियों के लिए समान संकेतकों का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि उन्हें क्या अलग बनाता है। 

दूसरे संकेतक जो ट्रेडर्स उपयोगी मानते हैं

प्रॉफिटेबल ऑर्डर बनाने के अलावा विचार करने के लिए अन्य पहलू भी मौजूद हैं। एक समझदार इन्वेस्टर अपने ट्रेडिंग रूटीन में जोखिम प्रबंधन को भी शामिल करेगा। बुनियादी जोखिम प्रबंधन के नियमों को लागू करना आपको ज्यादातर नकारात्मक परिणामों से बचाता है। याद रखें कि हम निगेटिव बैलेंस सुरक्षा प्रदान करते हैं, इसलिए अगर आपका खाता निगेटिव भी हो जाता है, तो भी हम बिना किसी लागत के इसे ऑटोमॅटिकली वापस शून्य पर एडजस्ट कर देंगे।

जोखिम प्रबंधन के टॉप 5 नियम  

ट्रेडर्स को उनके जोखिमों को प्रबंधित करने और कम करने में मदद करने के लिए सामान्यत: फ़ॉरेक्स में कई जोखिम प्रबंधन के साधनों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे लोकप्रिय कौन से हैं?

  1. स्टॉप लॉस. यह एक ऐसा साधन है जिसका इस्तेमाल आप किसी एसेट को खरीदने या बेचने के लिए करते हैं, जब वह एक निश्चित प्राइस लेवल तक पहुँच जाता है, इसका लक्ष्य कीमत बहुत अधिक गिरने से पहले नुकसान के साथ पोजीशन को क्लोज करना होता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर्स एक निश्चित लॉस लेवल के जरिए अपनी पोजीशन को अपने आप बेचकर ट्रेडर्स को संभावित नुकसान को सीमित करने में मदद कर सकते हैं।
  2. टेक प्रॉफिट. यह एक ऐसा साधन है जिसका इस्तेमाल आप किसी एसेट को खरीदने या बेचने के लिए करते हैं, जब वह प्रॉफिट के साथ पोजीशन को क्लोज करने के लक्ष्य के साथ एक निश्चित प्राइस लेवल तक पहुँचता है। अनुभवी ट्रेडर्स यह सलाह देते हैं कि एसेट का पूरी तरह से विश्लेषण किए बिना आगे के प्रॉफिट के लिए प्रतीक्षा न करें। इसलिए, टेक प्रॉफिट को केवल तभी रीसेट करें जब आप खुद यह को बता सकें कि कीमत आपके प्रॉफिट के लिए आगे क्यों बढ़ेगी।
  3. रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो. यह संभावित जोखिम की तुलना में ऑर्डर के संभावित इनाम का एक परिमाण है। रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो निर्धारित करके, ट्रेडर्स यह निर्धारित कर सकते हैं कि प्रॉफिट कमाने के लिए वे ज्यादा से ज्यादा कितनी राशि खोने को तैयार हैं और वह कम से कम राशि जिससे वे प्रॉफिट की उम्मीद कर सकते हैं।
  4. पोजीशन साइज़िंग. इसमें उस राशि के आधार पर ऑर्डर के आकार की गणना करना शामिल है जिसपर ट्रेडर जोखिम उठाने के लिए तैयार है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 500 USD का कॅपिटल है और आप एक बार में केवल 1% जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं, तो आप एक ऑर्डर में 5 USD इन्वेस्ट करेंगे।
  5. विविधीकरण. अलग अलग एसेट्स में इन्वेस्ट करके पोर्टफोलियो में विविधता लाने से इसे अलग अलग एसेट के वर्गों में फैलाकर, अन्य करेंसी जोड़े को ट्रेड करके, या विभिन्न सेक्टर्स या इंडस्ट्रीज में इन्वेस्ट करके जोखिम को कम किया जा सकता है।

हेज ट्रेडिंग

कब इस्तेमाल करें: ज्यादा वोलैटिलिटी अवधि से पहले।

मुख्य लक्ष्य: जोखिमों को कम करने और ट्रेड की सही दिशा चुनने के लिए।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर एक ही समय में दो विपरीत पोजीशन ओपन करेगा। 

विविधता लाने और जोखिम कम करते समय, हेज ट्रेडिंग वो विकल्प है जो दिमाग में आता है। इन्वेस्टर्स अपने जोखिम को सीमित करके कीमत के प्रतिकूल परिवर्तनों से कम प्रभावित हो सकते हैं। हेजिंग दूसरे ऑर्डर ओपन करके की जाती है लेकिन आपकी मुख्य पोजीशन के विपरीत दिशा में। आपका मार्जिन इन दो ऑर्डर्स के बीच बंटा रहेगा।

इन्वेस्टर्स को इसका ध्यान रखना चाहिए कि इस जोखिम प्रबंधन नीति को लागू करने से वे अभी भी नुकसान से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। स्प्रैड यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि हेजिंग के समय आपको प्रॉफिट होगा या नहीं, भले ही आप लॉन्ग या शॉर्ट पोजीशन में हों क्योंकि बाय ऑर्डर बिड के कीमत पर क्लोज होती हैं, जबकि सेल ऑर्डर के लिए यह उलटा होता है। 

हेजिंग आपको नुकसान से कैसे बचा सकती है?

ग्रिड ट्रेडिंग 

कब इस्तेमाल करें: कीमतें अच्छी हैं लेकिन बेहतर हो सकती हैं।

मुख्य लक्ष्य: जोखिमों को कम करने और सबसे अच्छे कीमतों पर खरीदने के लिए।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर अलग अलग प्राइस लेवल पर कई बाय या सेल ऑर्डर सेट करेगा।

ग्रिड ट्रेडिंग का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ट्रेडर्स को पुराने तरीके से ट्रेंड के बिना मार्केट में इंस्ट्रूमेंट की दिशा का अंदाजा लगाने की जरुरत नहीं होती है। एक निश्चित प्राइस लेवल से नीचे और ऊपर विशिष्ट अंतराल पर पेंडिंग ऑर्डर देना ग्रिड ट्रेडिंग नीति को परिभाषित करता है।

मार्टिंगेल ट्रेडिंग 

कब इस्तेमाल करें: आप उम्मीद करते हैं कि फ्लोटिंग लॉस की जरुरत के बाद कीमत उलट जाएगी।

मुख्य लक्ष्य: लॉस को प्रॉफिट में बदलने के लिए।

इसे कैसे हासिल किया जाता है: कोई ट्रेडर फ्लोटिंग लॉस के साथ ऑर्डर वॉल्यूम को दोगुना कर देगा और एसेट की कीमत में बदलाव का इंतजार करेगा 

इस तरह की नीति में पहले नुकसान उठाना शामिल होता है, जिसके बाद आपकी प्राथमिक पोजीशन में वृद्धि होती है। संक्षेप में, एक ट्रेडर नुकसान के बाद ऑर्डर की मात्रा को दोगुना कर देता है। यह सुनने में चाहे कितना भी अजीब लगे, यह गणितीय रूप से स्वीकृत नीति है। 

योजना यह है कि आपने जो खोया है उसे फिर से हासिल करना है। एक ओर, आप कोई प्रॉफिट नहीं कमाएंगे लेकिन आखिर में संभावित रूप से कुछ खोएंगे भी नहीं। दूसरी ओर, अगर आर्डर फिर से बिना प्रॉफिट वाला हो जाता है, तो नीति आपके इन्वेस्टमेंट को दोगुना करना जारी रखेगी। इस तरह की नीति निश्चित रूप से जोखिम से बचने वाले ट्रेडर्स के लिए है जो परिणामों के भावनात्मक और वित्तीय प्रभाव को संभाल सकते हैं।

लॉस को प्रॉफिट में बदलने के लिए मार्टिंगेल का इस्तेमाल कैसे करें?

सबसे अच्छी फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग नीति कैसे चुनें

सबसे अच्छी ट्रेडिंग नीति चुनने से पहले आपको कई घटकों के बारे में सोचना चाहिए।

  • आपकी ट्रेडिंग स्टाइल और उद्देश्य. अलग-अलग ट्रेडिंग नीतियाँ अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अनुकूल होती हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं। ऐसी स्थिति में, आप ऐसी नीति को पसंद करेंगे जिसमें विस्तारित अवधि के लिए पोजीशन को होल्ड करना शामिल हो। उसी समय, अगर आप एक डे ट्रेडर हैं, तो आप एक ऐसी नीति को पसंद कर सकते हैं जिसमें शार्ट-टर्म में कीमत की हलचलों का लाभ उठाना शामिल हो।

  • आपके अनुभव का स्तर. अलग-अलग फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग नीतियों के लिए अलग-अलग स्तरों के अनुभव और विशेषज्ञता की जरुरत होती है। अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो आप एक सरल नीति के साथ शुरुआत करना पसंद कर सकते हैं जो समझने और लागू करने में आसान हो।

  • आपकी जोखिम सहनशीलता. आपकी जोखिम सहनशीलता आपके इन्वेस्टमेंट के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जोखिम लेने की आपकी इच्छा को दर्शाती है। ट्रेडिंग नीति का चुनाव करते समय आपको अपनी जोखिम सहनशीलता पर विचार करना चाहिए, क्योंकि कुछ नीतियों में दूसरों की तुलना में ज्यादा जोखिम शामिल होता है।

  • मार्केट की स्थिति. मार्केट की स्थितियों के आधार पर अलग-अलग नीतियां कम या ज्यादा प्रभावी होती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ नीतियाँ ट्रेंडिंग मार्केट में अच्छी तरह से काम करती हैं, जबकि दूसरी रेंज-बाउंड मार्केट में अधिक प्रभावी होती हैं।

  • आपकी समय प्रतिबद्धता. अलग-अलग नीतियों के लिए समय और ध्यान के अलग-अलग स्तरों की जरुरत होती है। अगर आपके पास ट्रेडिंग करने के लिए बहुत कम समय है, तो आप कम समय लेने वाली नीति को प्राथमिकता दे सकते हैं।

  • आपकी पूंजी. आपके पास ट्रेड करने के लिए उपलब्ध पूंजी की मात्रा भी आपकी नीति की पसंद को प्रभावित करेगी। कुछ नीतियों के लिए ज्यादा पूंजी की जरुरत होती है, जबकि दूसरे को छोटी राशि में लागू किया जा सकता है। 

ट्रेडिंग नीति का चयन करने से पहले इन घटकों पर सावधानीपूर्वक विचार करना जरुरी है, क्योंकि सही नीति आपको अपने निवेश उद्देश्यों को हासिल करने में मदद कर सकती है, जबकि गलत नीति से आपको नुकसान हो सकता है।

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